Monday, February 26, 2018

न जाने कब मोहब्बत कर आये हम



ये ज़िंदगानी, ये रवानी
ये महफ़िल, ये तन्हाई
सब तेरी ज़ुल्फ़ों पे वार आये हम
न जाने कब मोहब्बत कर आये हम ।

ये आँसू, ये गम
ये हंसी ठिठोली
तेरे होंठों पे छोड़ आये हम
न जाने कब मोहब्बत कर आये हम ।

ये अपने, ये पराये
ये नींद, ये सपने
तेरी आँखों मे छोड़ आये हम 
न जाने कब मोहब्बत कर आये हम ।

ये भूख, ये प्यास
थोड़ी जो थी तुझसे मिलने की आस
तेरी डोली पे वार आये हम 
न जाने कब मोहब्बत कर आये हम ।

-कुमार

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